Class 11th Hindi Lesson 1 पूस की रात | Bihar Board Objective + Subjective Question with answer | class 11th ka hindi ke question answer lesson 1 ke

 Class 11th Hindi Lesson 1 पूस की रात


1. ‘पूस की रातशीर्षक पाठ में किसका वर्णन किया गया है?

(क) जाड़े की ऋतु का

(ख) एक गरीब किसान की व्यथा का

(ग) बड़े लोगों के शोषण का

(घ) ग्रामीण समस्याओं का

2. प्रेमचंद की कहानियाँ किस भावना से प्रेरित हैं?

(क) नवक्रांति की भावना से

(ख) धार्मिक भावना से

(ग) समाज-सुधार की भावना से

(घ) नारी-कल्याण की भावना से

3. हल्कू ने तीन रुपए किसके लिए बचाए थे?

(क) खेतों के बीज के लिए

(ख) बच्चे की दवा के लिए

(ग) तीर्थयात्रा के व्यय के लिए

(घ) कंबल के लिए

4.  में फसल की रक्षा में हल्कू का संगी कौन था?

(क) उसका बड़ा लड़का

(ख) उसका कुत्ता जबरा

(ग) उसकी पत्नी मुन्नी

(घ) उसका एक पड़ोसी

5. हल्कू ने खेत की फसल को रात में किसने बर्बाद किया?

(क) जंगली जानवरों ने

(ख) जमींदार के गुंडों ने

(ग) हल्कू के दुश्मनों ने

(घ) नीलगायों ने

6. सहना हल्कू के पास क्यों आया था?

(क) घुड़कियाँ जमाने

(ख) उसे पकड़कर ले जाने

(ग) उससे रुपए माँगने

(घ) उसे नेक सलाह देने

7. हल्कू ने रुपये लिए और इस तरह बाहर चला मानो

(क) अपना हृदय निकालकर देने जा रहा हो

(ख) अपने घर की लक्ष्मी को विदा कर रहा हो

(ग) गुलामी की यातना भगत रहा हो

(घ) बहादुरी से जवाब देने जा रहा हो

8. हल्कू ने अपनी पत्नी से किस स्वर में रुपये की मांग की?

(क) खुशामद में स्वर में

(ख) क्रोध के स्वर में

(ग) धमकी के स्वर में

(घ) प्रतिशोध के स्वर में

9. हल्कू किससे आहत था?

(क) अपनी दीनता से

(ख) पत्नी के व्यवहार से

(ग) जबरे कुत्ते की अनोखी मैत्री से।

(घ) खेत-मालिकों के व्यवहार से।

10. प्रेमचंद किस रूप में विशेष प्रसिद्ध हैं?

(क) विचारक के रूप में

(ख) गाँधीवादी चिंतक के रूप में

(ग) समाजवादी प्रवक्ता के रूप में

(घ) उपन्यासकार के रूप में

11. हल्कू ने पूस की रात की ठंढी का सामना किससे किया?

(क) पत्तियों की आग से

(ख) मोटे कपड़ों से

(ग) पुआल की गर्मी से

(घ) मचान की ओट से

  रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

1. हल्कू एक ……………… खरीदने के लिए तीन रुपये बचाकर रखना चाहता था।

2. हल्कू की फसल को ………… का झुंड बार्बाद करने आया था।

3. प्रेमचंद की आदर्शोन्मुखी …………… वादी कथाकार कहा जाता है।

4. पूस की रात एक ………………. वादी कहानी है।

5. हल्कू ने अपनी पत्नी से …………….. दर्द का बहाना बनाया।

1. कंबल

2. नीलगायों

3. यथार्थ

4. यथार्थ

5. पेट


1.  हल्कू कंबल के पैसे सहना को देने के लिए क्यों तैयार हो जाता है?

उत्तर- हल्कू कथासम्राट प्रेमचंद विरचित पूस की रातशीर्षक कहानी का सर्वप्रमुख पात्र है। वह एक अत्यंत निर्धन किसान है। उसने किसी तरह काट-कपट कर कंबल के लिए तीन रुपये जमा कर रखे हैं। किंतु, जब उसके पास महाजन सहना रुपये लेने के लिए आता है तो वह न चाहते हुए भी उस जमा पूँजी को परिस्थितिवश दे देने को तैयार हो जाता है। क्योंकि, वह . भली-भाँति जानता है कि सहना बिना रुपये लिये नहीं मानेगा, तो फिर वह व्यर्थ क्यों हुज्जत करे-कराये। यही सब सोचकर हल्कू सहना को रुपये देने के लिए राजी हो जाता है।

2. मुन्नी की नजर में खेती और मजूरी में क्या अंतर है? वह हल्कू से खेती छोड़ देने के लिए क्यों कहती है?

उत्तर- मुन्नी कथानायक हल्कू की पत्नी है। उसकी नजर में खेती और मजूरी में बड़ा अंतर है। वह जानती है कि खेत का मालिक अपने खेत में जो कृषि-कार्य करता है, वह खेती है, जबकि बिना खेत-बधार का आदमी जहाँ-तहाँ काम करता है, वह मजूरी है।

मुन्नी को लगता है कि जब खेती अपनी है, तभी तो लगान अथवा मालगुजारी देनी पड़ती है और उसके लिए कर्ज लेना पड़ता है, जिससे उबरना मुश्किल होता है। मजूरी करने पर यह सब झंझट नहीं है। इसीलिए वह हल्कू से खेती छोड़ देने के लिए कहती है।

3. हल्कू ने जबरा को आगे की ठंड काटने के लिए क्या आश्वासन दिया?

उत्तर- हल्कू और जबरा दोनों पूस की रात में खेत पर ठंड से काँप रहे थे; उन्हें तनिक भी नींद नहीं आ रही थी। तब अंत में हल्कू पूस की ठंड काटने के लिए जबरा को यह आश्वासन देता है कि आज भर किसी तरह जाड़ा बर्दाश्त कर लो। कल से मैं यहाँ पुआल बिछा दूंगा। तुम उसी में घुसकर बैठना, तब तुम्हे इतना जाड़ा न लगेगा।

4. हल्कू की आत्मा का एक-एक अणु प्रकाश से चमक रहा था। इसके पीछे क्या कारण था?

उत्तर- हल्कू और जबरा-दोनों ही भीषण जाड़े का सामना कर रहे थे। किन्तु, जब हल्कू से न रहा गया तो उसने जबरा को अपनी गोद में सुला लिया। जबरा उसकी गोद में ऐसा निश्चिन्त लेटा था मानो उसे चरम सुख मिल रहा हो। उसके इस आत्मीय भाव को समझकर ही हल्कू की आत्मा का एक-एक अणु प्रकाश से चमक रहा था अर्थात् वह सारे संकटों को भूलकर असीम आनंद की अनुभूति कर रहा था।

5. हल्कू खेत पर कहाँ और कैसे रात बिता रहा था?

उत्तर- पूस की रात में हल्कू अपने खेत के किनारे बनी ईख के पत्तों की एक छतरी के नीचे रात बिता रहा था। वह बाँस के खटोले पर था और उसके पास कड़ाके की ठंड से बचने के लिए पुराने गाढ़े की चादर के सिवाय और कुछ नहीं था। उसकी खाट के नीचे उसका कुत्ता जबरा था। दोनों ठंड से थर्र-थर काँप रहे थे।

6. हल्कू और जबरा की मैत्री को लेखक ने अनोखा क्यों कहा है?

उत्तर- मैत्री की बात बहुधा एक समान दो प्रणियों के बीच कही-सुनी जाती है। परंतु, ‘पूस की रातकहानी में हल्कू (मनुष्य) और जबरा (कुत्ता) के बीच मैत्री-भाव प्रदर्शित है। लेकिन, उन दोनों के बीच मित्रता का जो संबंध है, वह सच्चे मित्र के समान है। उनमें परस्पर एक-दूसरे के भावों, विचारों और सुख-दुःख को समझने की संवेदना है। अतः दोनों की मैत्री को अनोखी कहा गया है।

7. हल्कू कैसे जान सका कि रात अभी पहर भर बाकी है?

उत्तर- हल्कू से पूस की कड़ाके की ठंड भरी रात जब काटे नहीं कट नही थी, तब उसने आकाश की तरफ झाँका। वह देखता है कि सप्तर्षि (सात तारों का समूह) अभी आकाश में आधे भी नहीं चढ़े हैं। अतः वह समझ जाता है कि रात अभी पहर भर बाकी है।

8. जब ठंड बर्दाशत के बाहर हो जाती है तो हल्कू उसका सामना कैसे करता ?

उत्तर-लाख कोशिशें करने के बावजूद जब हल्कू ठंड से बचकर सो नहीं पाता है, तो वह वहाँ से कोई एक गोले के टप्पे पर लगे आम के बगीचे में चला जाता है। उसने अरहर के पौधों की झाडू बनाई और उसी झाडू से नीचे बिखरी ढेर सारी पत्तियों को बटोरकर जमा कर लेता है। जब बहुत सारी सूखी पत्तियाँ जमा हो जाती हैं तो वह उसमें आग लगाता है और उसी अलाव की आँच में तपकर अपना तन-बदन गर्म करता है। इय प्रकार वह ठंड का सामना करता है।

9. लेखक ने पवन को निर्दय क्यों कहा है? निर्दय पवन द्वारा पत्तियों का कुचलना से आप क्या समझते हैं?

उत्तर- इस पाठ में एक जगह लेखक ने पवन को निर्दय कहा है। निर्दय का तात्पर्य होता है, वह व्यक्ति जिसमें दया न हो। पूस की रात में एक ऐसे ही असहनीय जाड़ा पड़ रहा था, उसमें भी हवाओं का बहना तो एकदम कहर ढा रहा था। अभिप्राय यह कि हवा चलने पर ठंड और भी बढ़ जा रही थी। पवन द्वारा पत्तियों को कुचले जाने से मतलब यह है कि जैसे कोई समर्थ आदमी कमजोर को कुछ नहीं समझता, वेसे ही निष्ठुर पवन बेजान पत्तियों पर से गुजर रहा था।

10. आग तापते हुए हल्क कैसे क्रीड़ा करता है? अपने शब्दों में वर्णन करें।

उत्तर-जब अलाव की आग के कारण सर्द पड़े हल्कू को ठंड से राहत मिलती है और उसके शरीर में थोड़ी गर्मी आती है तो उसकी विनोद-वृत्ति जागृत हो जाती हो जाती है। वह छलाँग लगाकर अलाव के इस पार से उस पार फाँद जाता है और ऐसा ही करने को जबरा से भी कहता है।

11. हल्कू और मुन्नी दोनों के चरित्र की विशेषताएँ बताएँ। आपकों इन दोनों में अधिक महत्त्वपूर्ण कौन लगा?

उत्तर- पूस की रातकहानी में दो ही प्रमुख पात्र हैंहल्कू और उसका पत्नी मुन्नी। दोनों के चरित्र में यद्यपि बहुत कुछ समानताएँ हैं, तथापि उनमें भिन्नताएँ भी हैं। हल्कू एक औसत भारतीय किसान की भाँति हर हाल में परिस्थितियों से समझौता करने के लिए तैयार रहता है तथा अपना दर्द भरी जिंदगी को भाग्य की विडम्बना मानता है। किन्तु; मुन्नी के चरित्र में ऐसी बात नहीं है। उसके स्वभाव में अन्याय के प्रति विद्रोह का भाव है। हल्कू के लिए खेती में यदि मान-सम्मान है, तो मुन्नी के लिए वैसा मान-सम्मान कोई मायने नहीं रखता, जिसमें तन ढंकने को वस्त्र और पेट भरने के लिए रोटी भी नसीब न हो।

हल्कू की समझौतापरस्ती एवं भाग्यवादी विचारों की बाजाय मुन्नी का विद्रोही स्वभाव एवं आलोचानात्मक दृष्टिकोण हमें अधिक महत्त्वपूर्ण लगता है।

12. यह कहानी भारतीय किसान के मजदूर बनने की त्रासदी की ओर संकेत करती है। कहानी के आधार पर स्पष्ट करें।

उत्तर- पूस की रातकहानी की कथावस्तु से यह पूरी तरह स्पष्ट हो जाता है कि इसमें एक भारतीय किसान के मजदूर बनने की त्रासदी का मार्मिक वर्णन है। हल्कू, जो एक अत्यंत गरीब किसान है, खेती में जी-तोड़ परिश्रम करता है। फिर भी उसे भरपेट भोजन तक नहीं मिल पाता। जिस किसी तरह वह जाड़े की ठंड से बचने के लिए कंबल खरीदने हेतु कुल तीन रुपये जुगाकर रखे रहता है। किन्तु, वह बदनसीब किसान एक कंबल भी नहीं खरीद पाता, क्योंकि वह रुपये महाजन. सहना को दे देना पड़ता है। इस प्रकार मानसिक अवसाद इतना बढ़ जाता है कि उसे खेती अर्थात् किसानी की अपेक्षा मजदूरी ही अच्छी लगने लगती है। कहानी के अंत में उसके कथन कि रात की ठंड में यहाँ सोना तो न पड़ेगासे यह बात एकदम स्पष्ट हो जाती है।

13. ‘पूस की रातकहानी में जबराएक प्रमुख पात्र है। कहानी में उसका क्या महत्त्व?

उत्तर- पूस की रातकथासम्राट प्रेमचंद की एक बहुचर्चित, बहुप्रशंसित कहानी है। इसमें हल्कू और मुन्नी के अतिरिक्त एक प्रमुख मानवेतर पात्र है-कुत्ता जबरा। वह हल्कू का अत्यंत आत्मीय है। कहना चाहिए कि वह उसके परिवार का एक अभिन्न सदस्य है। इस कहानी में वह बड़ा महत्त्व रखता है। रात में खेत पर हल्कू के साथ एकमात्र उसका प्यारा, संगी जबरा ही होता है। उसके माध्यम से हल्कू के चारित्रिक वैशिष्ट्यों, मनोगत भावों को उभारने में लेखक को बड़ी मदद मिली है।

यदि जबरा के चरित्र का कहानी में सन्निवेश न होता तो शायद हल्कू के चरित्र के कुछ पहलू अनछुए और अनुद्घाटित रह जाते, वे उस सहजता से व्यक्त न हो पाते। पुनः उन दोनों पात्रों के मध्य जो संवाद-योजना है, वह अत्यंत स्वाभाविक, रोचक, मर्मस्पर्शी एवं कथावस्तु के सर्वथा अनुकूल है। इससे कृषक-प्रकृति पर अच्छा प्रकाश पड़ा है। अत: कहा जा सकता है कि जबरा जैसे, मानवेतर पात्र का नियोजन पूस की रातकहानी के कथ्य को पूर्ण बनाने में सहायक है।

14. निम्नलिखित वाक्यों की सप्रसंग व्याख्या करें : 

(क) बाकी चुकाने के लिए ही तो हमारा जन्म हुआ है।

उत्तर- प्रसंग-प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति हमारी पाठ्य-पुस्तक दिगंत, भाग-1 प्रथम पाठ पूस की रातशीर्षक कहानी से अवतरित है। इसके लेखक हिन्दी के सुप्रसिद्ध कथाकार प्रेमचंद हैं। कहानी में यह कथन हल्कू की पत्नी मुन्नी का है।

व्याख्या-

मुन्नी के इस कथन के माध्यम से भारतीय किसानों की दयनीय दशा का पता चलता है। हल्कू रात-दिन एक करके किसी तरह जाड़े से बचाव हेतु एक कंबल खरीदने के लिए तीन रुपये बचाकर रखा है। किन्तु जब वह द्वार पर सहना को देखता है तो समझ जाता है कि अब इससे पिंड छुड़ाना मुश्किल है। अत: वह उसे रुपये देकर छुटकारा पाने के विचार से मुन्नी से वे रुपये माँगता है, जो उसकी कुल जमा पूँजी है।

मुन्नी का हृदय उपर्युक्त प्रस्ताव पर टूट-टूटकर विदीर्ण हो जाता है। ऐसी स्थिति में स्वाभाविक रूप से उसके जीवन की नग्न वास्तविकता प्रकट होती है कि वह चाहे कुछ भी करे, कितनी ही कतर-ब्योंत क्यों न कर ले, लेकिन महाजनों के कर्ज से मुक्त होना उसके लिए नामुमकिन है। लगता है कि जैसे उसका जन्म ही बाकी चुकाते रहने के लिए हुआ हो। यदि एक बार कर्ज ले लो फिर उससे उबार नहीं। इस प्रकार सारा जीवन लगान भरने एवं कर्ज चुकाने में ही चुक जाता है, उनके लिए कुछ नहीं बचता।

विशेष-

विवेच्य पंक्ति के द्वारा भारतीय किसान की गरीबी से भरी जिन्दगी की करुण कहानी स्पष्ट होती है।

मुन्नी के इस कथन में उसके हृदय की सारी पीड़ा व्यक्त है।

वाक्य सरल होते हुए भी अत्यंत मार्मिक, व्यंग्यपूर्ण एवं अर्थगर्मित है।

उक्ति कहानी की भावी परिणति का संकेत करती है।

(ख) हल्कू ने रुपये लिये और इस तरह बाहर चला मानो हृदय निकालकर देने जा रहा हो।

उत्तर-प्रसंग-प्रस्तुत व्याख्येय पंक्ति हमारी पाठ्य-पुस्तक दिगंत, भाग-1′ के प्रथम पाठपूस की रातशीर्षक कहानी से अवतरित है। इस कहानी के लेखक प्रेमचंद हैं।

व्याख्या-

हल्कू के द्वारा पर महाजन सहना अपनी बकाया राशि वसूलने आया हुआ है। गरीब हल्कू के पास खाने-पीने को भी कुछ नहीं है। उसके घर में जमा-पुंजी के नाम पर सिर्फ तीन रुपये हैं, जिसे उसने बड़े यत्न से संभालकर रखा है। उसके साथ उसकी उम्मीदें बंधी हैं। किन्तु, निष्ठुर सहना को हल्कू की इन मजबूरियों से भला क्या लेना-देना। वह तो रुपये लेकर ही वहाँ से हटेगा। अतः इन परिस्थितियों से वाकिफ बेचारा हल्कू अपना कुल जमा धन भी उसे देने को तैयार होता है। क्योंकि, वह जानता है कि इसके अतिरिक्त सहना से बचने का और कोई उपाय नहीं है। अत: वह मुन्नी से तीनों रुपये लेकर सहना को देने के लिए घर से बाहर चलता है। उस समय सचमुच ऐसा लगता है कि हल्कू सहना को रुपये नहीं, बल्कि कलेजा निकालकर देने जा रहा है।

विशेष-

प्रस्तुत वाक्य में गरीब भारतीय किसान की दयनीय दशा व्यजित है।

पंक्ति में चित्रात्मकता है, गरीब की दीन-हीन दशा साकार हो उठी है।

गरीब किसानों के प्रति पाठक की सहानुभूति जगाने में पंक्ति सफल है।

(ग) अंधकार के उस अनंत सागर में यह प्रकाश एक नौका समान हिलता, मचलता हुआ जान पड़ता था।

उत्तर-प्रसंग-प्रस्तुत वाक्य हमारी पाठ्य-पुस्तक दिगंत, भाग-1’ में संकलित पूस की रातशीर्षक कहानी से उद्धृत है। इसके लेखक स्वनामधन्य कहानीकार प्रेमचंद हैं। कथानायक हल्कू भीषण सर्दी से बचने के लिए खेत छोड़ आम के बगीचे में जाता है। वहाँ वह रात्रि के घने अंधकार में ढेर सारी सूखी पत्तियों को बटोर लेता है और उसमें आग जलाता है। यह वाक्य वहीं का है।

 

व्याख्या-

पूस की रात में चारों तरफ घुप्प अँधेरा छाया है। कड़ाके की ठंड पड़ रही है। ठंड से पीड़ित और परेशान हल्कू अलाव जलाकर ताप रहा है। अलाव से निकलती आँच उस समय हल्कू के लिए अंधकार के अथाह सागर में एकमात्र सहारा नाव के समान प्रतीत हो रही है। चूँकि वह उसी के सहारे अंधकार पर विजय पा रहा है, ठंड से अपना बचाव कर रहा है। 

विशेष-

प्रस्तुत पंक्ति से हल्कू की मानसिक अवस्था का पता चलता है।

कथन चमत्कारपूर्ण है।

हल्कू की निस्सहायता के बीच आशा की किरण दिखलाई गई है।

पंक्ति के द्वारा पूस की रात में बगीचे में अलाव तापते किसान का चित्र साकार हुआ है।

(घ) तकदीर का खूबी है। मजूरी हम करें, मजा दूसरे लूटें।

उत्तर- प्रसंग- यह उक्ति हमारी पाठ्य-पुस्तक दिगंत,, भाग-1 में संकलित पूस की रातशीर्षक कहानी से ली गयी है। इसके कहानीकार प्रेमचंद हैं। कंबल के लिए जुगाकर रखे गये तीन रुपये सहना (महाजन) को चुकाने के बाद पूस की ठंडी रात में केवल फटी-पुरानी एक चादर के सहारे हल्कू को खेत की रखवाली करनी है। खेत पर बैठे-बैठे हल्कू के मन में कई विचार उठते हैं।

व्याख्या-

यह छोटी-सी उक्ति किसान के जीवन की विडम्बना को पूरी तरह व्यक्त करती है। किसान और मजदूर रात-दिन परिश्रम करते हैं। उनकी मेहनत से समाज की जरूरतें पूरी होती हैं। लेकिन, अपनी मेहनत का वह लाभ नहीं उठा पाता। जो कुछ भी हासिल करता है, वह कर्ज चुकाने में निकल जाता है। महाजन गरीबों की मेहनत की कमाई लूटते रहते हैं। उनके रुपये का ब्याज बढ़ता रहता है और किसान कभी कर्ज नहीं चुका पाता। इस प्रकार वह गरीबी और अभावों में ही फंसा रहता है, जबकि उनकी मेहनत की कमाई को लूटनेवाले, जो किसी तरह की मेहनत भी नहीं करते, मौज-मस्ती से जिन्दगी गुजारते हैं।

विशेष-

यह छोटी-सी उक्ति हमारे समाज के मुख्य अंतर्विरोध को बहुत ही तल्खी से व्यक्त कर देती है।

प्रेमचंद ने इतनी महत्त्वपूर्ण बात को बहुत ही सहज रूप से प्रस्तुत किया है। यह उनकी लेखकीय क्षमता का प्रमाण है।

15. ‘कर्तव्य उसके हृदय में अरमान की भाँति उछल रहा था। इस कथन के आलोक में कहानी में जबरा की भूमिका का मूल्यांकन करें।

उत्तर- पूसी की रातशीर्षक कहानी में हल्कू और मुन्नी के अतिरिक्त एक मानवेतर पात्र है-जबरा। कहानी में उसकी भूमिका बड़ी महत्त्वपूर्ण है। हल्कू के साथ खेत पर रात में वही रहता है। दोनों में मैत्रीपूर्ण संबंध इस कहानी में दिग्दर्शित है। दोनों एक-दूसरे के मनोभावों को भली-भाँति समझते हैं। यही कारण है कि यदि एक ओर हल्कू उसे अपनी गोद में सुलाता है तो दूसरी ओर प्रत्युपकार की भावना से जबरा भी अपने स्वामी की हित-रक्षा हेतु सदैव सजग और तत्पर रहता है। उस रात जब जबरा को किसी जानवर की आहट सुनाई पड़ती है तो वह ठंड की परवाह न कर छतरी के बाहर आकर दूंकने लगा।

जबरा के जीते-जी हल्कू का कुछ बिगड़े, यह संभव नहीं। इस संदर्भ में कहानीकार ने ठीक ही कहा है कि कर्त्तव्य उसके हृदय में अरमान की भाँति उछल रहा था।यही बात कहानी के अंतिम भाग में भी दिखायी देती है। जब हल्कू ठंड के कारण अलाव को छोड़ खेत पर नहीं जा पाता, जबकि जबरा खेत पर पहुंचकर नीलगायों को भगाने के लिए जी-जान लगा देता है। इस प्रकार हम देखते है कि जबरा अपनी स्वामिभक्ति एवं कर्त्तव्यपरायणता के कारण कहानी में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

16. ‘दोनों खेत की दशा देख रहे थे। मुन्नी के मुख पर उदासी छाई हुई थी। पर हल्कू प्रसन्न था।ऐसा क्यों? मुन्नी की उदासी और हल्कू की प्रसन्नता का क्या कारण है?

उत्तर-पूस की रातकहानी में हम देखते हैं कि इधर हल्कू आम के बगीचे में आग तापता रह जाता है और उधर उसके हरे-भरे खेत नीलगयों द्वारा रौंद दिये गये। जबरा बेचारा फसलों को नहीं बचा सका। जब सुबह-सुबह मुन्नी आकर हल्कू को जगाती है तो दोनों खेत पर जाते हैं। सारी फसल बर्बाद हो चुकी है।

फसलों की बर्बादी देख मुन्नी और हल्कू के भाव अलग-अलग है। मुन्नी वहा यह सोचकर दुखी और उदास है कि अब तो मालगुजारी भरने के लिए मजूरी ही करनी पड़ेगी, वहीं हल्कू इस कारण प्रसन्नता व्यक्त करता है कि चलो फसल नष्ट हुई तो हुई, मजूरी करनी पड़ेगी तो करेंगे, पर अब कड़ाके की ऐसी रात में यहाँ सोना तो न पड़ेगा।



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